क्षणिका क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 15/07/2022 हर पल यह अहसास होता है तू है यहीं कहीं मेरे आस पास फिज़ाओं में इस तरह बसी है तू जैसे खुश्बू बसी हो फूलों में