ओ मेरे चाँद आ जाओ
(वियोग श्रृंगार )
*ओ मेरे चाँद आ जाओ*
झलक दे दे के तड़पा ना कहाँ हो यूं न तरसाओ.
हृदय अंबर पे छा जाओ ओ मेरे चाँद आ जाओ .
गगन में चांदनी फैली मेरे दिल में अंधेरा है.
न तारे झिलमिलाते हैं उदासी का बसेरा है.
लिए पूनम का उजियारा ओ मेरे चाँद आजाओ.
बहुत मुश्किल हुआ जीना ये दुनियाँ बस रुलाती है.
लगे गुल खार के जैसे नहीं खुशियाँ सुहाती है.
लरज़ सावन की संग लेकर ओ मेरे चांद आजाओ.
गए परदेस जब साजन सपन भी खो गए सारे.
दिखे चहुओर अंधियारा नजारे खो गए सारे .
सुहाने रंग सब ले कर ओ मेरे चाँद आ जाओ.
बरसती बादरी भी अब मेरा तन मन जलाती है.
घटाएं मुंह चिढ़ाती है पवन कांटे चुभाती है.
‘मृदुल ‘शीतल मलय बन कर ओ मेरे चाँद आ जाओ.
झलक दे दे ———————
ह्रदय अंबर पे ——————-
— मंजूषा श्रीवास्तव ‘मृदुल’