कविता

सावन आया

सावन पावन महीना आया
हरा भरा हरियाली छाई रिमझिम बारिश बरसे देखो
पंख फैला मोर नाचे देखो
झूला झूले कृष्ण कन्हैया
राधे झूले बनके दुल्हनिया
बृंदाबन में रास रचावे
मधुबन के भीतर फल खावे
शिवशंकर कैलाश से आवे
धरती को धन्य धान्य बनावे
बम बम कावरिया गुंज रही है
बाबा का जयकार लगी है
सबके दुःख को हरने वाले
सबपे दया दिखाने वाले
पूरी करते मन की आस
जो दिल से करे हो जाएं खास
बाबा मुझे दो वरदान
मेरा जीवन हो जाए निहाल ।
बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।