गला बैठना – कारण और निवारण
कई बार लोगों के मुँह से आवाज ठीक तरह नहीं निकलती, बहुत धीमी सुनायी देती है। इसे बोलचाल में गला बैठना कहते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे. बहुत बोलनाए जोर से बोलना, लाउडस्पीकर के माइक के सामने बोलना, बहुत खाँसना, जोर से खाँसना, गले में कफ जम जाना, टांसिल में सूजन आ जाना आदि। वास्तव में यह गले के अन्दर जो स्वर यंत्र होता है, जिसे बोलचाल में काग कहते हैं, उसकी निष्क्रियता के कारण होता है। यह निष्क्रियता उपरोक्त कारणों के अलावा कफ की अधिकता से भी आ सकती है। काग में सूजन या दर्द होने के कारण भी गला बैठ सकता है। अधिक ठंड के कारण भी गले में रुकावट आ सकती है।
सामान्यतया यदि किसी का गला बैठ गया हैए और गले में दर्द नहीं हैए तो वह अपने आप दो-तीन दिन में ठीक हो जाता है। जल्दी ठीक करने के लिए निम्न उपाय करने चाहिए.
1. नित्य स्नान करते समय बीच की दो उँगलियों से काग को हिलाना चाहिए और उस पर जमे हुए कफ को निकालते रहना चाहिए। आवश्यक होने पर इसके लिए गर्म पानी के गरारे का उपयोग किया जा सकता है। उसमें नमक नहीं मिलाना चाहिए।
2. पंसारी की दुकान पर कुलंजन नाम की एक जड़ी मिलती है। उसे चूसना चाहिए। वह थोड़ी कड़वी होती है, पर उसे झेल जाना चाहिए। कुलंजन की जगह मुलेठी भी ले सकते हैं, जो मीठी होती है।
3. कुलंजन और मुलेठी दोनों न मिलने पर अदरक की डली मुँह में रखकर उसे चूसना चाहिए।
4. यदि गले में दर्द है या टांसिल सूज गये हैं, तो गले की सूती.ऊनी पट्टी का प्रयोग अनिवार्य रूप से दिन में एक बार और रात को सोते समय अवश्य करना चाहिए। इसकी विधि नीचे दी जा रही है।
5. यदि ऐसा लगता हो कि गले में कुछ अटक गया है, तो नमकीन गुनगुने जल से कुंजल क्रिया कर लेनी चाहिए।
6. इन उपायों के साथ उज्जायी और भ्रामरी प्राणायाम भी लाभदायक हो सकते हैं।
गले की सूती-ऊनी पट्टी
1. एक पतला सूती कपड़ा लें। उसे तह करके तीन चार इंच चौड़ी पट्टी बना लें।
2. इस पट्टी को खूब ठंडे पानी में भिगोकर निचोड़ लें।
3. इस पट्टी को गले के चारों ओर लपेट दें।
4. उस पट्टी के ऊपर से कोई ऊनी कपड़ा जैसे मफलर लपेट दें।
5. इस पट्टी को एक घंटे बाद हटा दें।
— डॉ. विजय कुमार सिंघल