संयम एक ऐसी साधना है, जो हमें सब मुश्किलों से पार लगाने मे समर्थ है।
हम अपने सुख के दिनों मे कभी ईश्वर से ये नहीं कहते कि तुम्हें मेरे हृदय की प्रसन्नता का आभास नहीं है।
लेकिन दुख के दिनों मे हम प्रतिदिन उसे कोसते हैं कि तुम्हें मेरी तकलीफ का अंदाजा नहीं लग रहा।
अपितु हमें यह समझने की ज़रूरत है
कि हम परमात्मा के ही अंश हैं।
जितनी तकलीफ हमें है, उसका पूरा-पूरा ध्यान उसे भी है।
हम उसके अस्तित्व का लेष मात्र भी नहीं हैं।
उसके हाथ बहुत विराट हैं।
हमारे कहने से पहले भी उसे भलीभांति यह बात पता है कि हम किन हालातों का सामना कर रहे हैं।
संकट के समय मे यदि मैं स्त्री हो कर इतने साहस और अडिग रूप में मजबूती से खड़ी रह सकती हूँ,
तो संसार का हर व्यक्ति भी इतनी क्षमता तो जुटा ही सकता है।
सब कुछ छूट जाने पर भी मेरे बार-बार दोहराते शब्दों को याद रखना।
चाहे जो हो जाये, लेकिन
“मरना मत”।
— रेखा घनश्याम गौड़