कविता

तिरंगा

हमारा राष्ट्रीय ध्वज तीन रंगों केसरिया ,सफ़ेद और हरा से मिलकर बना है। भारत के पूर्व गृह मंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे, पूर्व विदेश मंत्री श्री सलमान खुर्शीद तथा बिना पद के मंत्री दिग्विजय जी के अनुसार केसरिया रंग आतंकवाद का प्रतीक है तो क्या हमें राष्ट्र ध्वज से इस रंग को निकाल देना चाहिए ? यदि हाँ तो कहाँ कहाँ से निकालेंगे, पहले सूरज को ही देखो, अग्नि को देखो, प्रकृति को देखो, समझ नहीं आता इस प्रकार के नालायक लोगो को यह देश कब तक ढोता रहेगा जिनकी अपनी समझ केवल कुर्सी तक होती है, देश के बारे में कोई चिंतन ही नहीं ? तिरंगा रचना के माध्यम से अपने राष्ट्र ध्वज के औचित्य को दर्शाने का प्रयास किया है मैंने ——–
तीन रंग मे रंगा हुआ है, मेरे देश का झन्डा,
केसरिया,सफ़ेद और हरा,मिलकर बना तिरंगा।
इस झंडे की अजब गजब, तुम्हे सुनाऊं कहानी,
केसरिया की शान है जग मे, युगों-युगों पुरानी।
संस्कृति का दुनिया मे, जब से है आगाज़ हुआ,
केसरिया तब से ही है, विश्व विजयी बना रहा।
शान्ति का मार्ग बुद्ध ने, सारे जग को दिखलाया,
धवल विचारों का प्रतीक, सफ़ेद रंग ही कहलाया।
महावीर ने सत्य,अहिंसा, धर्म का मार्ग बताया,
शांत रहे सम्पूर्ण विश्व, सफ़ेद धवज फहराया।
खेती से भारत ने सबको, उन्नति का मार्ग बताया,
हरित क्रांति जग मे फैली, हरा रंग है आया।
वसुधैव कुटुंब मे कोई, कहीं रहे न भूखा,
मानवता जन-जन मे व्यापे, नहीं बाढ़ नहीं सुखा।
अशोक महान हुआ दुनिया मे, धर्म सन्देश सुनाया,
सावधान चौबीसों घंटे, चक्र का महत्व बताया।
नीले रंग का बना चक्र, हमको संदेशा देता,
नील गगन से बनो विशाल, सदा प्रेरणा भरता।
तिरंगा है शान हमारी, आंच न इस पर आये,
अध्यात्म भारत की देन, विजय धवज फहराए।
— डॉ.अ.कीर्तिवर्धन