ग़ज़ल
शोर हंगामा नहीं, थम सी गई है जिंदगी ।
बिछड़ गए बारी बारी सब सखा संगी ।।
अब भी लौटकर… आजा सनम आजा,
तेरे आने से आ जाएगी चेहरे पर खुशी ।
सावन की काली घटा बनकर बरस अब,
बारिशों की सैलाब आ जाए गली गली ।
आवाज़ दो दूर से आ जाएंगे करीब तेरे,
यूं ना मुंह फेर रास्ते में बनकर अजनबी ।
सुबह शाम तेरा ही जिक्र मेरे जुबां पर,
अच्छा नहीं होता इस तरह की बेरुखी ।
शोर हंगामा नहीं, थम सी गई है जिंदगी ।
बिछड़ गए बारी बारी सब सखा संगी।।