गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

शोर हंगामा नहीं, थम सी गई है जिंदगी ।
बिछड़ गए  बारी बारी  सब सखा संगी ।।
अब भी लौटकर… आजा सनम आजा,
तेरे आने से आ जाएगी चेहरे पर खुशी ।
सावन की काली घटा बनकर बरस अब,
बारिशों की सैलाब आ जाए  गली गली ।
आवाज़ दो दूर से आ जाएंगे करीब तेरे,
यूं ना मुंह फेर रास्ते में बनकर अजनबी ।
सुबह शाम तेरा ही जिक्र मेरे जुबां पर,
अच्छा नहीं होता इस तरह की बेरुखी ।
शोर हंगामा नहीं, थम सी गई है जिंदगी ।
बिछड़ गए  बारी बारी  सब सखा संगी।।

मनोज शाह 'मानस'

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