कविता

कागज़ की नाव सा मन

मोहब्बत वो बारिश है…,
जो बिना सावन बातों में बरसती है..
जो बिना बादल दिलों में गरजती है..
जो बिना बिजली आंखों में चमकती है..
और रूह को भीगोती है…।।
मोहब्बत वो बारिश है…,
जब बरसे एहसासों में,
भींगकर दिल हो जाता है तर ।
और दिल का चमन,
महक उठता है जैसे अत्तर ।।
मोहब्बत वो बारिश है…,
जिसमें कागज़ की नाव सा मन
कभी चाहत के सैलाब में बह जाता है
कभी प्यार के समंदर में डूब जाता है ।।
मोहब्बत वो बारिश है…,
कभी आंखो में आंसू बनकर बिखरती है
कभी स्याही से शायरी बनकर निखरती है
बिना किसी परवाह के
महबूब की बाहों को तरसती है ।।
मोहब्बत वो बारिश है…,
चाहे जितनी भी बरसे
दूरियां हो या नजदीकियां
या हो आसार मजबूरी के
दिल फिर भी प्यासा ही रह जाता है ।।
मोहब्बत वो बारिश है…,
जिसके फुहारें दिल को छूते ही
बेजान दिल में भी
जीने की ख्वाहिशें से जाग उठती है
जिंदगी खूबसूरत लगने लगती है ।।
मोहब्बत वो बारिश है…,
जिसमें कागज़ की नाव सा मन
कभी चाहत के सैलाब में बह जाता है
कभी प्यार के समुंदर में डूब जाता है ।।

मनोज शाह 'मानस'

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