ग़ज़ल
ये कहानी बड़ी पुरानी है
कथ्य में यह बड़ी सुहानी है
चाँदनी बोलती नहीं अब तो
जो कहे आज मुँहज़ुबानी है
कह गये जो बड़े कई बातें
सोच लो बात हर सयानी है
प्यार में हार जो गये अब तक
हार से देख जीत लानी है
जिस जगह था गिरा लहू वीरो
आज भी वह जगह लुहानी है
हो गये जो शहीद भारत हित
ज्योति उनके लिए जलानी है
वीर लड़ते गये जहाँ पर भी
स्थल वह तो बड़ा हिमानी है
जो हुआ था शहीद उस माँ का
शक्ल उसकी अब पहचानी है
रोशनी बरकरार है जिससे
वह शमा ही नहीं बुझानी है
रो दिये पल भरे में देखो तो
क्यों यही भावुक – सी जवानी है
हम वफ़ा कर सदा निभाते हैं
बात तुमको यही बतानी है
बारिशें हो गयीं अभी ऐसी
हो गयी अब धरा ही धानी है
— रवि रश्मि ‘अनुभूति’