कविता

वीरान शहर

यह शहर क्यूँ वीरान है
हर शख्स क्यों अनजान है
ये कौन सा दयार है भाई
जहाँ हर जन परेशान है
मधुवन इतना क्यों सुनसान है
कलियों की लुटी अरमान है
ये कौन सी बयार है भाई
जहाँ गुलशन ही बदनाम है
इन्सान क्यों यहाँ शैतान है
मानवता हो रही गुमनाम है
जग में कैसी ये चलन चली
हर शख्स बना नादान है
गाँव में छुपा शैतान है
आतंकी नहीं पहचान है
हर मोड़ पे देशद्रोही खड़ा है
रो रहा ग्रामीण हिन्दुस्तान है
नदियों में क्यों उफान है
हवा बना अब तुफान है
प्रकृति ने कैसी खेल खेली
मानव जग में हलकान है
सरकार यहाँ नाकाम है
जनता को मूर्ख बना महान हैं
लुट खसोट की बनी राजनीति
सत्ता की गलियारा बदनाम हैं
मानव बना यहाँ हैवान है
संस्कार की नहीं प्रमाण है
हर मानव स्वार्थ का पुतला
राष्ट्रभक्त की हो रही अपमान है

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088