कविता

राज और राजनीति

राज की राजनीति, बहुत गहरा राज है।
डर के मारे मुख, कोई न खोले आज है।
झूठ सत्य का नकाब,ओढ़े फिरता यहाँ।
सच का मोल राजनीति में, है रहा कहाँ।
अपना राज बना रहे झूठ का ही जोर है।
संसद के अंदर बाहर भी शोर ही शोर है।
मर्यादा सीखाने वाले, हैं मर्यादा  खो रहे।
कुर्सी की कीमत के यहाँ सब धंधे हो रहे।
नई नई तरकीब लगा के देश को खा रहा।
कोई करिश्मा ही देश की लाज बचा रहा।
कौन गरीब को पूछता अमीरी की दौड़ में।
नेता लोग लगे हैं वोटर लुभाने की होड़ में।
राजनीति बन गई अब दुश्मनी का मोल है।
रहा नहीं है ज़बाँ पर,नैतिकता का बोल है।
अपना स्वार्थ सिद्ध हो,बस यही  विचार है।
झूठे वायदे कर रहे होता झूठ का प्रचार है।
— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995