स्वतंत्रता गीत
दसों दिशा में देवगण यशगान कर रहे
भारत की स्वतंत्रता अमर रहे, अमर रहे
आई है स्वतंत्रता वीरों के बलिदान से
कोटि कोटि भारतीयों के आत्म-दान से
अनगिनत तिरंगे ध्वज गगन में फहर रहे
भारत की स्वतंत्रता अमर रहे, अमर रहे
क्रांतिकारियों का दिव्य स्वप्न अभी अपूर्ण है
निज अध्यवसाय से करना हमको पूर्ण है
हमको इसका स्मरण हर पल हर पहर रहे
भारत की स्वतंत्रता अमर रहे, अमर रहे
राष्ट्र के शत्रुओं का करना पूर्ण विनाश है
वीरों के दलों से अब सबको यही आश है
दृष्टि में सदा परम वैभव का शिखर रहे
भारत की स्वतंत्रता अमर रहे, अमर रहे
— डॉ. विजय कुमार सिंघल