गज़ल
ज्यादा ना शरमाया कर,
भर के पेट कमाया कर,
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शौक अगर करने हैं पूरे,
थोड़ी रिश्वत खाया कर,
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सच्चा दिखने की खातिर तू
झूठे अश्क बहाया कर,
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सैंया जब कोतवाल भये तो,
किसी से ना घबराया कर,
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हाथ जोड़ दे ताकतवर को,
कमज़ोरों को दबाया कर,
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जिससे मतलब निकल गया हो,
उसको आँख दिखाया कर,
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मेहनत बिल्कुल ना कर चाहे,
बातें खूब बनाया कर,
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दिखे जहाँ भी माल बेगाना,
जम के लूट मचाया कर,
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आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।