संस्मरण

स्वतंत्रता संग्राम सैनानी मेरे पितामह : स्व. श्री तोताराम राजपूत और तिरंगा

आगरा – जलेसर मार्ग से पूर्व दिशा में टेढ़ी बगिया से चार किलोमीटर दूर स्थित मेरे छोटे – से गाँव पुरालोधी के छः देशभक्तों ने अपने परिवार और गृहस्थी से मुँह मोड़कर देशभक्ति की अलख जगाने में कोई कमी नहीं छोड़ी।उन्होंने महात्मा गांधी जी के आह्वान पर अपनी किशोरावस्था से ही देश की स्वतंत्रता के आंदोलन में आजीवन अपनी महती भूमिका का निर्वाह किया।ये छः देशभक्त सैनानी थे : 1. स्व.श्री प.लालाराम शर्मा जी, 2.स्व.श्री लेखराज जी,3.स्व.श्री पीतम्बर सिंह जी,4.स्व.श्री गुलाब सिंह जी,5. स्व.श्री तुला राम जी और मेरे पूज्य पितामह (बाबा) 6. स्व.श्री तोताराम राजपूत जी। इन सभी ने अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के विरुद्ध आंदोलनों में अपनी सक्रिय सहभागिता से अंग्रेज़ी प्रशासन के छक्के छुड़ा दिए थे। कभी टेलीफोन के तार काटना,कभी रेलवे की पटरियां उखाड़ना, कभी हाट बाजारों को लूटना आदि उनके दैनिक कार्यक्रम में सम्मिलित थे।

मेरे बाबा मुझे समय -समय पर किये जाने वाले अपने कारनामों का हाल मुझे सुनाया करते थे। दादी श्रीमती जानकी देवी भी बहुत कुछ बताती – सुनाती थीं।एक बार की बात है कि मेरे बाबा तथा कुछ अन्य देशभक्त बरहन की हाट की लूट में शामिल हुए ,किन्तु पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं सकी तो पूरे गाँव की जनता पर सामूहिक जुर्माना लगा दिया गया।

1942 के आसपास की एक बार गाँव में घटित घटना की चर्चा करते हुए मेरी पूजनीया दादी ने बताया कि एक घुड़सवार अंग्रेज गाँव में देशभक्तों को गिरफ़्तार करने के लिए आया। सभी छः लोग गाँव से बाहर अन्यत्र भूमिगत थे ,इसलिए वह किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सका ।हाँ, वह स्वयं अवश्य गाँव की देश भक्त महिलाओं की गिरफ्त में आ गया। जैसे ही वह हमारी चौपाल पर पहुँचा मेरी दादी के नेतृत्व में स्त्रियों के एक समूह ने उसे पकड़ कर घोड़े से नीचे गिरा लिया औऱ उसे लहँगा ,चुनरी पहनाकर काजल बिंदी से सजा दिया।साथ ही एक दूध की हांडी लाकर उसके सिर पर हेलमेट भी लगा दिया औऱ उसके सामने ही नीम के पेड़ पर तिरंगा फहरा दिया । तब तो अंग्रेज कोउलटे पैरों भागते ही बना।

मेरे पूज्य बाबाबाजी को अंग्रजों के विरुद्ध विद्रोह के कारण 1932 और 1942 में जेल जाना पड़ा। 15 अगस्त 1947 को देश को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। आगरा में उस समय एक अंग्रेज जिला कलेक्टर थे,जिनका नाम था आई.एम.रैना.; जिनके हस्ताक्षर से एक हस्तलिखित पत्र पूज्य बाबाजी को प्रदान किया गया ।जो उन्हें देश की आजादी के बाद पच्चीस रुपये प्रति माह पेंशन दिए जाने संबंधी प्रमाण पत्र है। जो उन्हें श्रीमती इंदिरा गांधी के कार्यकाल तक प्राप्त होती रही। जिसे श्रीमती इंदिरा गांधी ने बढ़ाकर आठ सौ पचास रुपये प्रति माह कर दिया था, जो अब तो उन लोगों को भी मिलने लगी थी ,जिन्हें 1947 के तुरंत बाद नहीं मिलती थी। मेरे गाँव में एक मात्र मेरे बाबाजी को ही उक्त पेंशन प्राप्त हुई थी।

मेरे पूज्य बाबा जी ने आजीवन सूती कपड़े से बना हुआ धोती,कुर्ता,गमछा, टोपी, अन्य वस्त्र तथा जूते भी कपड़े से बने से हुए ही धारण किए।लहसुन प्याज खाना तो दूर किसी को इन वस्तुओं को ग्रहण करने वाले को न पास में बिठाते थे और नहीं किसी के पास बैठते ही थे।पूर्ण रूप से सात्विकता का आजीवन अनुपालन करने वाले मेरे पूज्य बाबा जी ने लगभग 90 वर्ष की आयु पूर्ण करके 1987 में इस नश्वर देह का त्याग करते हुए देश के स्वाधीनता संग्राम सैनानियों की पंक्ति में अपना नाम उज्ज्वल करते हुए स्वदेश के साथ – साथ मेरे परिवार के नाम को भी उज्ज्वलता प्रदान की। मेरी पूजनीया दादी 1978 में ही अपनी नश्वर देह का परित्याग करके परम पिता परमात्मा की शरण में चली गईं। अपने ऐसे महान पूज्य बाबाजी और पूजनीया दादी जी के ऊपर उनके इस प्रपौत्र को विशेष स्वाभिमान है। उनके असीम स्नेह का मैं सदैव ऋणी रहूँगा।

 — डॉ.भगवत स्वरूप ‘शुभम् 

*डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

पिता: श्री मोहर सिंह माँ: श्रीमती द्रोपदी देवी जन्मतिथि: 14 जुलाई 1952 कर्तित्व: श्रीलोकचरित मानस (व्यंग्य काव्य), बोलते आंसू (खंड काव्य), स्वाभायिनी (गजल संग्रह), नागार्जुन के उपन्यासों में आंचलिक तत्व (शोध संग्रह), ताजमहल (खंड काव्य), गजल (मनोवैज्ञानिक उपन्यास), सारी तो सारी गई (हास्य व्यंग्य काव्य), रसराज (गजल संग्रह), फिर बहे आंसू (खंड काव्य), तपस्वी बुद्ध (महाकाव्य) सम्मान/पुरुस्कार व अलंकरण: 'कादम्बिनी' में आयोजित समस्या-पूर्ति प्रतियोगिता में प्रथम पुरुस्कार (1999), सहस्राब्दी विश्व हिंदी सम्मलेन, नयी दिल्ली में 'राष्ट्रीय हिंदी सेवी सहस्राब्दी साम्मन' से अलंकृत (14 - 23 सितंबर 2000) , जैमिनी अकादमी पानीपत (हरियाणा) द्वारा पद्मश्री 'डॉ लक्ष्मीनारायण दुबे स्मृति साम्मन' से विभूषित (04 सितम्बर 2001) , यूनाइटेड राइटर्स एसोसिएशन, चेन्नई द्वारा ' यू. डब्ल्यू ए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड' से सम्मानित (2003) जीवनी- प्रकाशन: कवि, लेखक तथा शिक्षाविद के रूप में देश-विदेश की डायरेक्ट्रीज में जीवनी प्रकाशित : - 1.2.Asia Pacific –Who’s Who (3,4), 3.4. Asian /American Who’s Who(Vol.2,3), 5.Biography Today (Vol.2), 6. Eminent Personalities of India, 7. Contemporary Who’s Who: 2002/2003. Published by The American Biographical Research Institute 5126, Bur Oak Circle, Raleigh North Carolina, U.S.A., 8. Reference India (Vol.1) , 9. Indo Asian Who’s Who(Vol.2), 10. Reference Asia (Vol.1), 11. Biography International (Vol.6). फैलोशिप: 1. Fellow of United Writers Association of India, Chennai ( FUWAI) 2. Fellow of International Biographical Research Foundation, Nagpur (FIBR) सम्प्रति: प्राचार्य (से. नि.), राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, सिरसागंज (फ़िरोज़ाबाद). कवि, कथाकार, लेखक व विचारक मोबाइल: 9568481040