आज देश अपनी आजादी के पर्व को 75 वर्ष पूरे करने पर “आजादी का अमृत महोत्सव” के रूप में मनाने जा रहा है। ‘हर घर तिरंगा’ कार्यक्रम से पूरे देश में देशभक्ति का माहौल तैयार हो रहा है। विद्यार्थियों, नव युवा पीढ़ी में देश भक्ति से नव संचार हो रहा है। आज युवा पीढ़ी देश भक्ति को आत्मसात करें ना कि यह फैशन में तब्दील हो।कभी तिरंगा निजी एवं सरकारी शिक्षण संस्थाओं में ,कार्यालयों में फहराया जाते थे। आज हर घर तिरंगा की मुहिम चल पड़ी है। अच्छा है किंतु इस तिरंगे का मान-सम्मान के भाव वही होने चाहिए जो आजादी के समय थे।जिसके लिए देश के अमर सपूतों ने इस तिरंगे के सम्मान में हंसते-हंसते अपने शीश कटा दिए थे। आज देश आजादी की 75 वीं वर्षगांठ को “आजादी का अमृत महोत्सव” मना रहा है।जिसमें राष्ट्रभक्ति का उफान नए रूप में देखने को मिल रहा है। जनता में यह महोत्सव मेले के रूप में देखा जा रहा है बस यह मेला “मैला” नहीं होना चाहिए।आजादी का यह अमृत महोत्सव देश की लंबी गुलामी की जंजीर तोड़ने के लिए लाखों देशभक्तों ने अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया। राष्ट्र की बलिवेदी पर आहुति दी।इस कठिन संघर्ष में आजादी का साक्षी तिरंगा देश की नव युवा पीढ़ी में नव संदेश, नव चेतना का संचार कर रहा है। एक नए राष्ट्र के चरित्र को गढ़ने का महत्वपूर्ण कार्य भी कर रहा है। आन बान की शान तिरंगे को देश के नेता पहले अपने आदर्शवादीवाता का परिचय देकर फिर जनमन और युवा पीढ़ी को भी एक महत्वपूर्ण संदेश देने का काम करें तो कहना ही क्या!अपेक्षा यह है कि देश के जनप्रतिनिधि दलाल नहीं आदर्श जन सेवक के रूप में देश की सेवा कर जनता के बीच महत्वपूर्ण संदेश दें। आज जनता का शासन कम नेताओं का शासन हो गया है। जनता की भावनाओं की कद्र नहीं हो रही है।नेता अपने स्वार्थ वश आज जब चाहे सरकारी गिरा देते हैं। यह लोकतंत्र के लिए घातक है।
आजादी के 75 वर्षों में शिक्षा का स्तर बेहतरीन हुआ किंतु युवा बेरोजगारी का ग्राफ दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।निजी स्कूलों में शिक्षा महंगी होती जा रही है।आजादी से पहले व बाद में बालिका शिक्षा पर उदासीनता थी किंतु आज शिक्षा में बालिका अव्वल आ रही है।आजादी के बाद नारी शक्ति अपनी शिक्षा शक्ति से,अपने अधिकारों से विकास मार्ग पर शतक बढ़ती हुई प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ती जा रही है। किंतु नारियों के साथ अपराधों की कमी होने का नाम ही नहीं ले रही है। बच्ची से बुजुर्ग महिलाओं के साथ बलात्कार,दुर्व्यवहार हो रहा है।आज एक उत्तम एवं आदर्श नागरिकों से ही कल्पना की जा सकती है। देश का युवा,व्यक्ति व समाज महिलाओं को सम्मान तथा बराबरी का दर्जा दिल से, मन से देकर उन्हें उचित न्याय दें। तभी राष्ट्र गौरवान्वित हो सकेगा।देश के युवाओं विद्यार्थियों में नैतिक शिक्षा,संस्कार मानवीय मूल्यों को आत्मसात करने की अति आवश्यकता है जो अपने पूरे जीवन को महत्वपूर्ण बनाता है। अच्छे आदर्श नागरिक का निर्माण करता है। एक आदर्श लोकतंत्र के रूप में साकार होने का महत्वपूर्ण कार्य करता है। जब देश में बुराइयों का खात्मा होता जाएगा, अच्छे नागरिकों के विकास से राष्ट्र अपने आप आलोकित हो जाएगा। अपने मजबूत लक्ष्यों और इरादों से प्रगति के शिखर को छूता जाएगा। हम जिए तो राष्ट्र के लिए और हम मरे तो राष्ट्र के लिए। राष्ट्र धर्म एक महान धर्म है ।यह आज प्रत्येक नागरिक को आत्मसात करने की अति आवश्यकता है।
आजादी का 50 वीं वर्षगांठ (15 अगस्त 1947 से 15 अगस्त 1997) को “स्वर्ण जयंती” के रूप में मनाया गया तो आज आजादी की 75 वीं वर्षगांठ को आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है।आजादी के 75 सालों की उपलब्धियां,संकल्प और स्वर्णिम भारत के सपनों को नई उड़ान देने की विकल्प खोजा जाए। आजादी के बाद हमने बहुत कुछ पाया है किंतु बहुत कुछ पाना अभी बाकी है। देश आत्मनिर्भर तब बने जब जनता देश हित में जिए सबसे पहले भारत हो। आज भारत को विकसित बनाने की प्रथम आवश्यकता है। भुखमरी, बेरोजगारी, बलात्कारी, भ्रष्टाचारी ,रिश्वतखोरी ,कालाबाजारी, गरीबी, अशिक्षा, आतंकवाद भ्रूण हत्या बाल विवाह, असमानता, लिंगभेद जैसे गंभीर चुनौतियों से डटकर मुकाबला किया जाए। इन आपराधिक तत्वों को खत्म करने की अति आवश्यकता है। सांप्रदायिक सौहार्द की भावना,स्वहित के बजाय जनहित की भावना अपना स्थान ले।समानता वादी सोच, दया, परोपकार ,मानवीय सोच, संवेदनशीलता, इमानदारी जैसे गुणों से ही अखंड भारत का सपना साकार हो सकेगा।हमारी विश्व बंधुत्व अर्थात् “वसुधैव कुटुंबकम” की विश्व में अपनी अनोखी संस्कृति से विश्व को गति एवं दिशा मिलती रहे। जिससे विश्व विकास और विश्व शांति और सद्भाव के फूल खिलते रहे। सब की भलाई में हमारी भलाई के सपने साकार हो उठेंगे। भारत दुनिया का नेतृत्व तभी कर सकेगा जब भारत में फैली बुराइयों का खात्मा स्वयं कर आदर्श को प्रस्तुत करने में भारत सक्षम होगा।देश में बुराइयों का खात्मा होता जाएगा अच्छे नागरिकों के विकास से राष्ट्र अपने आप आलोकित हो जाएगा ।
भारत शक्तिशाली भारत बनता जा रहा है सामरिक दृष्टि से विश्व में चौथे स्थान पर है।आज भारत को अपनी “लकीर” बढ़ाने की जरूरत है।जिसके लिए देश का प्रत्येक नागरिक इस आजादी के अमृत महोत्सव से संकल्पित होने की अति आवश्यकता है। आज भी ग्राम संस्कृति में दलितों के साथ शारीरिक भेदभाव तो शहरों के पढ़े लिखो में मानसिक भेदभाव हो रहा है।गरीब और गरीब व अमीर और अमीर होता जा रहा है। पूंजीपति लोकतंत्र में अपने पैसों की खेती से मालामाल हो रहे हैं। जनता महंगाई की मार से त्राहि-त्राहि हो रही है। दिनों दिन हमारी जीडीपी गिरती जा रही है। सरकारी अपनी योजना भले ही आधुनिक बन रही है। आज लोग शिक्षा- संस्कार और सम्मान के बजाए पैसों को ज्यादा महत्व देने लगे हैं। “बहुत कुछ पैसा” “अब सब कुछ पैसा” हो गया है। “परहित सरिस धर्म नहिं भाई,पर पीड़ा सम नहिं अधमाई” का सूत्र जन भावनाओं में लुप्त होता जा रहा है। देश में स्व विकास की होड़ लगी हुई हैं किंतु संवेदनशीलता गुम हो रही है।गांव से शहर की ओर जनता का विस्थापन बड़ा है। आज स्मार्ट शहर के समान स्मार्ट गांव बनाने की आवश्यकता है। युवाओं में आज ज्ञान मोबाइल से मिलने लगा है। अच्छी बात है। किंतु अच्छी पुस्तकों की होड़ कभी नहीं की जा सकती है। आज युवाओं में इंफॉर्मेशन कि शिक्षा के बजाय नॉलेज वाली ज्ञानवर्धक शिक्षा की अति आवश्यकता है। डिग्री की शिक्षा के बजाय बेसिक शिक्षा जीवन में महत्वपूर्ण होती है।आज हमारे देश में 121 से ज्यादा भाषाएं एवं 270 मातृभाषा बोली जाती है।आज दुनिया का सबसे बड़ा और सर्वश्रेष्ठ भारतीय संविधान है। संविधान के अनुसार जन-मन को चलाना एवं पालन करने करवाने का प्रतीक भारतीय नैतिक उत्तरदायित्व है। अलग-अलग संस्कृतियों के बावजूद भारत एक है और एकता के सूत्र में बांधने वाले संविधान को, आजादी का प्रतीक तिरंगे को, देश के अमर सपूतों को मिलकर करें हम सम्मान। सद्भाव तरानों से गूंज उठे भारत का स्वाभिमान।
— डॉ. कान्ति लाल यादव