कविता

कलाकार

भाव सारे दिल से निकलते पर कागज पर होते है व्यक्त
साकार रूप देती कलम करती वो सब क्रमबद्ध
कलम की महिमा होती अपार सरस्वती इसमें वास करती है
कलम की ताकत से नये इतिहास लिखा करती है
खुद  को डुबोकर स्याही में नए अध्याय लिखा करती  है
वेद, पुराण ,रामायण ,गीता ,महाभारत कलम ने  लिखे है
कलम की ताकत इतनी होती अच्छे अच्छे डर जाते है
सच्चाई से परिचय करवाती जब समाज के लिए लिखती है
जो हम बोल नहीं सकते कलम उन्हीं भावों को दूसरे तक पहुंचती है
बंदूक की नोंक पर केवल तख्त ताज हड़पे जाते है
कलम की ताकत को बंदुक या तलवार से काट नहीं जा सकता है
आज के परिवेश को कागज पर उतारती है
समाज,देश की सच्चाई और यथार्थ को सबके सामने लाती है
जब जीवन में उम्मीद की किरण नजर न आये तो यही कलम ताकत बन जाती है
रुपये ,पैसे की चमक से कभी यह खरीद भी जाती है
कलम अपनी पहचान खोकर राजनीति में चाटुकारिता में लग जाती है
जब यह मासूमों के खिलाफ जाकर अपनी आवाज उठाती है
कलम की ताकत फिर से स्वतंत्र रूप से गुंजा करती है
कलम की ताकत फिर इतिहास लिखा करती है.
— पूनम गुप्ता 

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश