कविता

मेरे गुरुजन

भगवान् का रूप है आप
ज्ञान का स्वरूप है आप,
विद्यार्थी को जीने की कला बताकर
हर मुश्किल से लड़ना सिखाते है आप,

जब भी महसूस करें हम अकेला
साथ खड़े नज़र आते हैं आप।

मंजिलों की पहचान करना आपने ही सिखाया है
सही गलत का भेद आपने ही समझाया है,
अपने अनुभवों से राह दिखाकर
हमें ठोकरें खाने से बचाते है आप,

जब भी महसूस करें हम अकेला
साथ खड़े नज़र आते हैं आप।

देश का उज्जवल भविष्य बनाते हैं आप
हमें दुनिया का परिचय कराते हैं आप,
हमारे आंखों में सपनों की ललक जगाकर
हर कठिनाई में मुस्कुराना सिखाते हैं आप,

जब भी महसूस करे हम अकेला
साथ खड़े नज़र आते हैं आप।।

— डॉ. सारिका ठाकुर “जागृति”

डॉ. सारिका ठाकुर "जागृति"

ग्वालियर (म.प्र)