दिल्ली का शराब घोटाला
आजकल दिल्ली में शराब घोटाले की बड़ी चर्चा है जिसमें सीबीआई ने दिल्ली राज्य के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तथा उनके सहयोगियों के निवास और कार्यालयों पर छापे मारे हैं और अनेक आपत्तिजनक दस्तावेज खोजे हैं। इस घोटाले में आबकारी नीति बदलकर सरकारी खजाने को अरबों खरबों का चूना लगाया गया है और शराब के दुकानदारों को उतना ही लाभ पहुँचाया गया है। यह सीधे-सीधे भ्रष्टाचार का मामला है, जिसमें सीबीआई ने नामजद रिपोर्ट लिखी है।
इस घोटाले को समझने के लिए पुरानी और नयी आबकारी नीति को समझना उचित होगा।
पुरानी शराब नीति
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750ML थोक कीमत ₹166.73
एक्साइज ड्यूटी ₹223.88
VAT ₹106.00
रिटेलर कमीशन ₹ 33.39
कुल एमआरपी ₹530.00
#नई शराब नीति लागू मार्च 2022
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750ML थोक कीमत ₹188.41
एक्साइज ड्यूटी ₹ 1.88
VAT 1% ₹ 1.90
रिटेलर मार्जिन ₹ 363.27
अतिरिक्त एक्साइज ₹ 4.54
कुल एमआरपी ₹560.00
इस प्रकार पुरानी शराब नीति में एक बोतल पर सरकार की कमाई= 329.89 और नई शराब नीति में मात्र 8.32 होती है। यानी नई नीति से प्रति बोतल ₹321.57 का सरकार को घाटा। पुरानी नीति में रिटेलर का कमीसन 33.39जबकि नई नीति में रिटेलर का कमीसन 363.27 होता अर्थात प्रति बोतल₹330.12 का रिटेलर को फायदा।
यहां पर देखने से यह स्पष्ट होता है कि प्रति बोतल सरकार को जितना नुकसान होता है लगभग उतना ही बल्कि उससे भी थोड़ा ज्यादा रिटेलर को फायदा पंहुचा है। अब कोई भी समझ सकता है कि चतुराई से नई नीति बनाकर मैन्युफेक्टरर्स/ रिटेलर्स को फायदा पंहुचाया गया। अब ये फायदा मनुफेक्टरर्स को कैसे पंहुचे तो नई नीति में मैन्युफैक्चरर्स को रिटेल में भी शॉप खोलने की अनुमति दे दी।
अब बिक्री के आंकड़े भी देख लीजिए। पुरानी नीति में जहां शराब की बिक्री प्रतिमाह 132 लाखलीटर थी, तो नई शराब नीति में प्रतिमाह शराब की बिक्री 245 लाख लीटर हो गई। इस बिक्री को बढ़ाने के लिए बाकायदा पीने बाले की उम्र घटाकर 18 साल और समय बढाकर रात्रि 3 बजे तक कर दिया।
अब आप समझ गए होंगे कि ये कितना बड़ा और कट्टर घोटाला है और कितनी बड़ी कमाई केज़रीवाल एन्ड कम्पनी ने की है जिसकी बजह से चीफ सेक्रेटरी को एलजी से सीबीआई जांच के लिए कहना पड़ा। यह हाल उस पार्टी का है जो राजनीति से भ्रष्टाचार मिटाने का दावा करके प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई थी। परन्तु उसकी दाढी तो तिनकों से भरी निकल रही है।
इस भ्रष्टाचार के प्रकट होने से दिल्ली की जनता हतप्रभ रह गयी है। एक ओर तो उसको शराब की लत लगाकर उसकी जेब काटी जा रही है, दूसरी ओर उसके पैसों से शराब निर्माताओं की तिजोरी भरी जा रही है। सीबीआई की कार्यवाही को आआपा के नेता उसका दुरुपयोग बता रहे हैं, लेकिन यह नहीं बता रहे कि आबकारी नीति बदलने से राज्य को क्या लाभ हुआ और इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी। जाँच जारी है और आशा की जानी चाहिए कि कोई भी भ्रष्टाचारी बचेगा नहीं और बचना भी नहीं चाहिए। हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने विगत स्वतंत्रता दिवस पर भ्रष्टाचार और परिवारवाद के विरुद्ध जिस लड़ाई की घोषणा की थी, यह उसकी परीक्षा की घड़ी है।
— डॉ. विजय कुमार सिंघल