गणेश वंदना
गौरी पुत्र गणेश, मैं तेरे, चरणों में पुष्प चढ़ाऊँ
सब देवों के स्वामी तुम हो, तेरे ही गुण गाऊँ
गौरी पुत्र गणेश, मैं तेरे, चरणों में पुष्प चढ़ाऊँ
ऋद्धि-सिद्धि के तुम दाता, तुम ही अन्तर्यामी
चाहूं हरदम तेरा साया, मैं मूरख खलकामी
अद्भुत तेरा भेष, तुझे नित-नित शीश नवाऊंँ
सब देवों के स्वामी तुम हो, तेरे ही गुण गाऊँ
गौरी पुत्र गणेश, मैं तेरे, चरणों में पुष्प चढ़ाऊँ
लम्बोदर कहलाते तुम, एकदन्त कहलाते तुम
मूषक वाहन है तुम्हारा, वक्रतुण्ड कहलाते तुम
ब्रह्मा विष्णु महेश, दो दर्शन मैं भी तो तर जाऊँ
सब देवों के स्वामी तुम हो, तेरे ही गुण गाऊँ
गौरी पुत्र गणेश, मैं तेरे, चरणों में पुष्प चढ़ाऊँ
जग सारा ये घूम के देखा, प्रभु तेरी शरण में आया
जगतपिता तुम हो निराले, दिशा-दिशा भटक के आया
भूला हूँ अपना देश, तेरी मूरत मैं घर में सजाऊँ
सब देवों के स्वामी तुम हो, तेरे ही गुण गाऊँ
गौरी पुत्र गणेश, मैं तेरे, चरणों में पुष्प चढ़ाऊँ
— डॉ. सारिका ठाकुर “जागृति”