आ के जाना नहीं जिंदगी से मेरे
हो के नाराज़ भी जिंदगी से मेरे ।
है ख़ता तो सजा दीजिए अब मुझे
खार भी जाएँ कुछ जिंदगी से मेरे।
यूँ तो अश्कों से दामन भिगोया बहुत
गम मिटेंगे भी क्या जिंदगी से मेरे ।
रब्त आँसू का दिल से रहेगा सदा
वास्ता ,…क्या तुम्हें जिदगी से मेरे ।
है मेरी जिंदगी,…और तन्हा सफर
खाब रुठे हैं सब जिंदगी से मेरे।
— सीमा शर्मा