कब तक मौन रहेगी सरकार
जग में फलीभूत हो रहा अपराध
मस्त है अपराधी की दरबार
कौन दे रहा है इसे धरातल
मौन कब तलक रहेगी सरकार
कानून का कोई खौफ नहीं है
कौन सी हो गई है अब दयार
क्या देश में सुशाषण है रूठा
या व्यवस्था हो चुकी है बेकार
हत्या अपहरण और बलात्कार का
जग में हो रहा है गुलशन गुलजार
कहीं ना झलकता अमन चैन देश में
क्या अपराध बना है अब रोजगार
दिल्ली यु पी या हो प्रदेश बिहार
हर क्षेत्र में पनप रहा है अत्याचार
कौन सी रिश्ते की डोर में बँधा है
सता की गलियारी में रिश्तेदार
कितनी गहराई तक जड़े जमाई
अपराधी की नापाक परिवार
दहशत में है देश की गरीब जनता
रोते बिलखते हैं पीड़ीता परिवार
अमन चैन से विमुख़ है जग वाले
कौन करेगा सुशाषण की अविष्कार
कुरसी पाने की जुगत में राजनेता
भूल चुके हैं जनता से सरोकार
दलदल में आंकठ डुबा है शांति
ड्रुब गया जग का सब व्यवहार
घूम रहे है दुर्जन नित्य कण कण
खोज रहा है पथ पे अगला शिकार
— उदय किशोर साह