कहानी

कहानी – प्री वेडिंग

नीता और शेखर का रिश्ता  पक्का हो गया था।रिश्ता पक्का होने से दोनों परिवार बहुत प्रसन्न थे।सगाई और शादी की तिथि तय  की जा रही थी।
        नीता अपने भावी जीवन को लेकर बहुत उत्साहित थी।वो अपने भविष्य के सुखद सपने संजो रही थी। शेखर के आकर्षक व्यक्तित्व ने उसे बहुत आकर्षित किया था।
       नीता एक मध्यम वर्गीय परिवार से थी।उसके पिता एक प्राइवेट कंपनी में  क्लर्क थे।जब से नीता का रिश्ता तय हुआ था तब से वे विवाह में होने वाले खर्चे को लेकर चिंतित थे।
        नीता की मां भी इसी उधेड़बुन में थी कि विवाह कैसे होगा।वैसे शेखर के परिवार ने दहेज की कोई मांग नहीं रखी थी।
नीता की माँ ने नीता के पिता से कहा-” देखो जैसे भी हो तुम पैसों का  इंतजाम कर लो।चाहे तो यह घर गिरवी रख दो पर शादी धूमधाम से होनी चाहिए क्योंकि एक ही तो हमारी बेटी है और लड़के का परिवार सम्पन्न है।ऐसे में हमें थोड़ा दिखावा भी करना होगा ।कहीं यह रिश्ता भी हाथ से न निकल जाए।”
      नीता के पिता ने गम्भीर स्वर से कहा-“तुम चिंता मत करो सब हो जाएगा।”
     रिश्ता होने के बाद अक्सर शेखर नीता को फोन करता।दोनों खूब बातें करते। इसी बीच एक दिन शेखर ने नीता से कहा-“नीता मेरी इच्छा है कि हम सगाई के पहले अपना प्री वेडिंग फोटोशूट  कराएं।आजकल यह चलन में है। तुम अपने घर में यह बता देना फिर किसी दिन कहीं सुंदर जगह में जाकर फोटोशूट करवा लेंगे। “
        नीता ने खुश होकर कहा-“हां, सबका प्री वेडिंग सोशल मीडिया में देखती हूँ तो मेरा भी मन करता था कि मेरी भी शादी हो तो मैं भी प्री वेडिंग फोटोशूट करवाऊँ ।कितना  मजा आता होगा न?जब मैं भी किसी राजकुमारी की तरह सज धज कर हवा में लहराती हुई तुम्हारे साथ फोटोशूट करवाऊंगी तो कितना मजा आएगा।” यह कहती हुई नीता सचमुच सपनों की दुनिया में खो सी गई।
        दूसरे दिन नीता ने अपनी माँ को यह बात बताई। यह सुनकर माँ ने नाराज होते हुए कहा-नहीं बेटा, यह फिजूल का खर्चा हम नहीं उठा सकते फिर मुझे प्री वेडिंग के चोचले बिल्कुल पसंद नहीं हैं। हमारे जमाने में तो ऐसा कुछ नहीं होता था ।अरे!कुछ साल पहले तक तो हमारे समाज में यह रिवाज नहीं था फिर अचानक ये कहाँ से आ गया।सब विदेशी कल्चर है। हमारे समाज मे तो लड़का-लड़की शादी के पहले एक दूसरे को देखते नहीं थे पर अब प्री वेडिंग के नाम पर यह खुलापन मुझे पसंद नहीं। कोई प्री वेडिंग नहीं होगी।”
      माँ की यह बात सुनकर नीता ने नाराज होते हुए कहा-” माँ, तुम  समझतीं क्यों नहीं?यह आजकल का फैशन है ।मैं प्री वेडिंग नहीं करवाऊंगी तो मेरी सहेलियां मुझ पर हँसेंगी और शेखर भी नाराज हो जाएंगे।तुम्हारे जमाने की बात और थी ।तुम्हारे जमाने मे लोग बैलगाड़ी में आते -जाते थे तो क्या आज हम भी बैलगाड़ी में चलें?माँ तुम न पुरातनपंथी हो ।मॉर्डन बनो  माँ, आज इक्कीसवीं सदी है।”
      आखिर नीता के तर्क के आगे माँ को झुकना पड़ा।पिताजी ने भी प्री वेडिंग के लिए हामी भर दी।
       अब क्या था शेखर और नीता प्री वेडिंग की तैयारी जोरशोर से करने लगे। नीता की शॉपिंग जोरों से होने लगी।उसने शेखर के पसन्द के कपड़े खरीदे।पारदर्शी गाउन, छोटे-छोटे टॉप मिडी आदि। उन्होंने फोटोशूट के लिए मनाली जाना निश्चित कर लिया।
        माँ ने सुना कि नीता-शेखर मनाली जा रहे हैं तो उन्होंने नाराज होते हुए कहा-” देखो नीता, इस तरह शादी के पहले शहर से बाहर अकेले जाना तुम दोनों का ठीक नहीं है।लोग क्या कहेंगे?मैंने तो तेरे पापा को शादी के बाद ही देखा था और तुम लोग दोनों शादी से पहले एक साथ रहने भी जा रहे हो? मुझे यह ठीक नहीं लग रहा है।फोटोशूट करवाना है तो यही करवा लो पर तुम्हें बाहर नहीं जाने दूंगी।”
         यह सुनकर नीता ने मुस्कुराते हुए कहा-“ओह, माँ तुम भी न कितनी पिछड़ी हुईं बातें करती हो?आजकल तो यह कॉमन है।सब फोटोशूट करवाने दूसरे शहर जाते हैं। प्री वेडिंग से कपल को एक दूसरे को  जानने समझने का अवसर मिलता है।  अब हम भी फोटोशूट करवा रहे हैं तो क्या हो जाएगा? तुम समझती क्यों नहीं हो माँ? तुम तो आज भी सौलहवीं सदी में ही जीना चाहती हो।माँ दुनिया बदल गई है।”
         यह सुनकर माँ ने कहा-“हां बेटा, दुनिया बदल गई है पर आज भी पुरुषों की मानसिकता नहीं बदली।स्त्री-पुरुष के सम्बंध नहीं बदले। तुम समझ नहीं रही हो जो मैं कहना चाहती हूं। “
      “ओहो!मम्मी देख लो आज फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप पर सभी शान से अपनी प्री वेडिंग पोस्ट करते हैं। कुछ नहीं होगा। “
        आखिर नीता और शेखर प्री वेडिंग फोटोशूट करवाने मनाली चले गए। वहां दोनों बड़े खुश थे। नीता ने कम से कम कपड़ों में फोटोशूट करवाया। वे विभिन्न मुद्राओं में कभी आलिंगनबद्ध होकर भी एक दूसरे की बांहों में झूलते हुए फोटोशूट करवाये।वे मनाली की सुरम्य वादियों में पूरी तरह खो गए।
        आखिर प्री वेडिंग फोटोशूट हो गया। वे खुशी-खुशी वापस आ गए। कुछ दिन हो गए नीता बड़ी बैचैन सी है।शेखर का फोन कुछ दिनों से नहीं आ रहा है।उसने शेखर को कई बार फोन किया पर हर बार उसने बिज़ी हूँ ।बाद में लगाता हूँ कहा।
          पूरा महीना बीतने को है पर शेखर ने  नीता से बात नहीं की है।नीता  चिंतित है कि आखिर क्या हो गया कि शेखर नाराज है। नीता के घरवालों ने सगाई की तिथि तय कर दी है।कल नीता की सगाई है।वो बेहद खुश है।उसने तुरंत शेखर को फोन किया-“शेखर कल हमारी सगाई है। अब हमारा शानदार प्री वेडिंग सब देखेंगे। बड़ा मजा आएगा।देखो तुम अपनी नाराजगी छोड़ कर कल दूल्हे की तरह सज धज के आ जाना।”
       उधर से शेखर ने रूखे स्वर से कहा-“माफ करना नीता मैं यह शादी नहीं कर सकता।”
       यह सुनकर नीता सकते में आ गई।उसने रुआंसे से स्वर में कहा-“पर शेखर हुआ क्या है?यह तो बताओ?”
     अब तुम्हें ये भी बताना पड़ेगा कि हुआ क्या है?अरे तुम जैसी चरित्रहीन लड़की से मैं शादी नहीं कर सकता जो शादी से पहले अपना तन समर्पित कर देती हो पता नहीं इससे पहले कितनों को तुम ऐसे ही की होगी?”
       यह सुनकर नीता गुस्से से चिल्लाई-“जबान सम्भाल कर बोलो शेखर! मैंने तुम्हारी जिद पर नाजुक पलों में अपना सब कुछ समर्पित कर दिया इसका मतलब तुम गलत निकाल रहे हो।मैं ऐसी-वैसी लड़की नहीं हूं।” यह कहते हुए वह जोर-जोर से रोने लगी।
       रोने की आवाज सुनकर नीता की माँ घबराती हुई उसके पास दौड़कर आई और उन्होंने पूछा-“क्या बात है नीता, क्या हुआ?”
         उसने हिचकियाँ लेते हुए कहा-” माँ, शेखर ने शादी से इंकार कर दिया।अब क्या होगा? मैं उसके बच्चे की माँ बनने वाली हूँ।”
       यह सुनकर माँ के पैरोंतले जमीन खिसक गई।वे सिर पर हाथ रखकर जमीन पर धम्म से बैठ गईं। उनकी आँखों के आगे अंधेरा छा गया। वे भी रोने लगीं। उन्होंने बुदबुदाते हुए कहा-“अब क्या होगा?”
       हां, अब क्या होगा? यह ज्वलन्त प्रश्न नीता के जीवन में अब भी ज्यों का त्यों खड़ा हुआ है।
—  डॉ. शैल चन्द्रा

*डॉ. शैल चन्द्रा

सम्प्रति प्राचार्य, शासकीय उच्च माध्यमिक शाला, टांगापानी, तहसील-नगरी, छत्तीसगढ़ रावण भाठा, नगरी जिला- धमतरी छत्तीसगढ़ मो नम्बर-9977834645 email- shall.chandra17@gmail.com