जग तारण गणपति
पूजा पाठ कर शीश झुकाये,
बेल पत्र संग गंग दुब चढ़ाये।
सुमन सा मन में भाव भर के,
फूलों की माला हम पहनाये।।
मूषक राज के करते सवारी,
एक दन्त देवा हो फ़रसा धारी।
मार के असुरन को विनायक,
सब देवो के करते हो रखवारी।।
गण के राजा तुम हो गणराज,
विघ्न विनाशक हो महाराज।
आये हम बालक द्वार तुम्हारे,
बालक की सदा रखना लाज।।
गौरी पुत्र हे गणपती गजानन,
आपके दर्शन है बड़ पावन।
मृत्यु लोक से हमको दो मुक्ति,
जानत है आप हो जग तारण।।
— सोमेश देवांगन