कविता

तू ही हमारा गहना है

तेरी गोद से जन्म लिया मां,
तूने ही हमें पाला है,
मातृभूमि हम लाल हैं तेरे,
हर लाल तुझे मां प्यारा है.
तेरे आंचल की छैंयां में,
हमने हर सुख पाया है,
दुःख में भी तू साथ रही मां,
सिर पर तेरा साया है.
वीर सपूतों की जननी तू,
रक्षक तेरे लाल कई,
झांसी की रानी-सी बेटी,
तुझ पर ही कुर्बान हुई.
देवों की तू पुण्य भूमि है,
स्वर्ग से सुंदर कहलाती,
गंगा-यमुना के पावन नीर से,
तू ही हमें मां नहलाती.
उच्च हिमालय प्रहरी तेरा,
सागर चरण पखार रहा,
तेरी रक्षा की खातिर मां,
हम सकते निज खून बहा.
आजादी का अमृतोत्सव है,
खुशियों का झूला झूलेंगे,
खुशियों में भी हरगिज हे मां,
रक्षा न तेरी भूलेंगे.
बाहर-भीतर के रिपुओं से,
सावधान हमें रहना है,
तू रक्षित तो हम भी सुरक्षित,
तू ही हमारा गहना है,
तू ही हमारा गहना है,
तू ही हमारा गहना है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244