बेईमानों की बस्ती
बेईमानों की इस बस्ती में
ईमान की बात क्यूँ करते हो
नक्कारखाने में तुती सुनाने की
बेकार की आस क्यूँ रखते हो
वहशी की इस बेशर्म बस्ती में
अस्मत की बात क्यूँ करते हो
हर नुक्कड़ पर खड़ा है भेड़िया
सुरक्षा की बात क्यूँ करते हो
अज्ञानियों की इस बस्ती में
ज्ञान की बात क्यूँ करते हो
मूरख की कतार लंबी है
संस्कार की बात क्यूँ करते हो
मयखाने की इस बस्ती में
शराफत की बात क्यूँ करते हो
जहाँ साकी गोद में बैठी हो
शर्म की बात क्यूँ करते हो
वैमनस्यता की इस बस्ती में
इन्सानियत की बात क्यूँ करते हो
पर्दे के पीछे बैरी खड़ा है
दोस्ती की बात क्यूँ करते हो
नफरत भरी इस बस्ती में
प्रेम की बात क्यूँ करते हो
ईष्या विष नस नस में भरा है
मोहब्बत़ की बात क्यूँ करते हो
— उदय किशोर साह