/ रुको मत, चलते जाओ /
हे प्यारे नन्हा मुन्ना !
यह कभी भूल न जाना
अमित बल है तुम्हारे अंदर
ढ़क लो, ढक लो तुम सारा संसार
भर लो तुम्हारे अंदर ज्ञान समुंदर
मन लगाके खूब तुम पढ़ना
मानो,गुरूजनों के हित वचन,
अंतरंग की पुकार अवश्य तुम सुनना
भेद व्वयधानों की इस दुनिया में
अपना कुछ व्यवदान देते तुम जाना
हे प्यारे नन्हा मुन्ना ! अवश्य तुम जानना
दौड़ है जग में एक दूसरे को कुचलाते
मनुष्य नहीं उसके अंदर जानवर है
हिंसा, स्वार्थ, भेदविभेदों का आगार है,
जो पोथी – पुराण रटते हैं भरपूर
वे पाते हैं मान – सम्मान का आदर
समता – ममता, भाईचारे की बात
जनतंत्र में भी समझने लगे हैं तोत
जाति – धर्म की परंपरा शिरमौर बनी
युगों से दलित कहलाने लगे श्रमजीवि
बाँटे गये थे वे वर्ण – जाति – उपजाति
हजारों सालों से होने लगी थी यथेच्छ लूटी
हे प्यारे नन्हा मुन्ना !
वैज्ञानिक चिंतन मत तुम छोड़ना
मन की क्रीड़ा को अवश्य पहचानना
खोज़ों के उस रास्ते में चलना
कंकड़, पत्थर होते हैं या फेंके जाते हैं
उतार – चढ़ाव ध्यान से तुम परखना
मनुष्य के, मन के विकार पर नज़र रखना
स्वार्थ चिंतन बेईमानी है यह समझना
सम समाज का संकल्प नित्य बनाना
चलो, दुनिया में अपने उस पथ में
सत्य-धम्म, शांति-अहिंसा बहुत पुरानी है
महामानव बुद्ध की बहुत बड़ी देन है
अप्प दीपोभव हर जगह सिरमौर है।