कविता

/ वह गायब है /

वह गायब है
कूकना भूल गयी है वह
पेड़ों में
खेतों में
वन – उपवनों में
दिल से निकली उस आवाज़ में
प्रेम की एक बूटी थी
बल मिलता था
हाशिये की जनता को
दूर होती थी थकान,
समय बदल गया है
गर्मी के मारे सूख गया उसका गला
न उसके लिए पेड़ की छाया,
डाली का सहारा
वह कोयल गायब है
पन्नों में फुर्र-फुर्राते दर्शाती नहीं
आज उसकी मधुर आवाज़
सुनने को कहीं नहीं मिलती है
हर जगह बोलने लगे हैं मनुष्य
ऊँचे स्वर में
न उसमें कहीं प्यार है और
न लोक हित की संवेदना
बुद्धि का जाल है
अपनी शक्ति का गर्व
जाति – धर्म का फ़रमान है।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।