कविता

वक़्त के संग चलना होता है

वक़्त कभी अपना होता है
वक़्त कभी सपना होता है
साथ नहीं सीखा यदि चलना
फिर सब कुछ सहना होता है..।।

वक़्त सदा गतिमान रहा है
औरों से बलवान रहा है
नहीं किया गर कद्र वक़्त का
फिर एक दिन झुकना होता है..।।

जितनी चाहे दौड़ लगा लो
आसमान को चूम भले लो
अगर वक़्त का हुआ अनादर
फिर एक दिन रुकना होता है..।।

फ़क्र करो यदि सफल हुए हो
मगर ग़ुरूर कभी मत करना
जीत-हार और हार-जीत में
दोनों में लड़ना होता है..।।

साहस और धैर्य से ही तो
मिलती विजय सदा कछुए को
सफल जीवन के मूलमंत्र में
वक़्त के संग चलना होता है..।।
वक़्त के संग चलना होता है..।।

— विजय कनौजिया

विजय कनौजिया

ग्राम व पत्रालय-काही जनपद-अम्बेडकर नगर (उ0 प्र0) मो0-9818884701 Email- [email protected]