हे राम! हे राम
मेरे प्यारे बच्चों
तुम सबने अब तक जो भी किया
सब अच्छा ही किया या नहीं किया
इन सबका अब मेरे लिए
कोई महत्व नहीं रह गया,
क्योंकि अब मेरा अंतिम समय आ गया।
तुम सबने अपनी सुविधा से
अपना फ़र्ज़ निभाया,
मेरी सुख सुविधा का कभी
तुम सबको ध्यान ही नहीं आया।
इसका मलाल तो है मुझे
क्योंकि मैंने पिता पुत्र सहित
अपना हर धर्म अच्छे से ही निभाया,
पर मेरे हाथ कुछ नहीं आया,
शायद अपना फ़र्ज़ मैं अच्छे से नहीं निभा पाया।
चलो कोई बात नहीं
जो भाग्य में था वो मिला मुझे,
न शिकवा न कोई गिला मुझे।
अब न पंडित, न काजी की जरूरत है
तुम्हारे रोटी पानी की भी
अब तो बचत ही बचत है।
अब तुम सब अपना सोचो
क्योंकि अब मेरे जाने को समय हो गया है।
मेरी लाश का क्रियाकर्म करो न करो
मुझे क्या फर्क पड़ेगा,
अंतिम संस्कार, श्राद्ध, पिंडदान से
न कोई मोक्ष मिलेगा।
जो मिलना था धरा पर ही मिल गया,
अब तुम सबका बोझ कम हो जायेगा
देखो मेरे प्राण मेरा शरीर छोड़ जा रहे हैं,
अब तुम सबसे मेरा रिश्ता खत्म हो रहा है।
मैं भार था तुम सब पर अब तक
आज उस भार से मुक्त कर रहा हूँ
इस दुनिया से बहुत दूर जा रहा हूँ,
तलाशी लेना चाहो तो ले लो
देख लो खाली हाथ ही जा रहा हूँ
हे राम! हे राम! बोल रहा हूँ
अब तुम सबसे विदा ले रहा हूँ।