बुहत घबराता है दिल मेरा – तन्हाई की काली रातों में
मुन्तज़र हूं अब तो मैं – एक नई सुबह के होने का
बुहत झील चुका हूं मैम – तन्हाई के अनधेरों को
इन्तज़ार है अब तो मुझे – इक नए सूरज के निकलने का
चाँद भी है आसमान में – सितारे भी टिमटमा रहे हैं
दिल फिर भी परेशान है मेरा – तन्हाई के ख़ियालों से
पसंद मुझ को नही है – यह तन्हाई की तारीक ज़िन्दगी
इन्तज़ार है अब तो मुझे – एक रंगीन सुबह के होने का
ढर बुहत लगता है मुझ को – तन्हाई की तारीकियों से
बुहत अच्छा लगता है मुझे – सवेरा सुनहरी ज़िन्दगी का
बुहत दर्द दे चुके हैं मुझे – ज़ख़्म काली रातों के
इन्तज़ार है अब तो मुझे – इन ज़ख़्मों से शफ़ा पाने का
उम्मीदें नई जाग उठेंगी – नई सुबह आने के साथ ही मदन
कलियाँ भी खिल उठेंगी – बाद-ए-सबाह के चलने के साथ ही
चहक परिन्दों की भी सुनने को – हर सुबह मिलेगी मुझे
इन्तज़ार है अब तो मुझे बस – अब तो चमन में फूलों के खिलने का