गीत/नवगीत

गीत

बुहत घबराता है दिल मेरा – तन्हाई की काली रातों में
मुन्तज़र हूं अब तो मैं – एक नई सुबह के होने का
बुहत झील चुका हूं मैम – तन्हाई के अनधेरों को
इन्तज़ार है अब तो मुझे – इक नए सूरज के निकलने का
चाँद भी है आसमान में – सितारे भी टिमटमा रहे हैं
दिल फिर भी परेशान है मेरा – तन्हाई के ख़ियालों से
पसंद मुझ को नही है – यह तन्हाई की तारीक ज़िन्दगी
इन्तज़ार है अब तो मुझे – एक रंगीन सुबह के होने का
ढर बुहत लगता है मुझ को – तन्हाई की तारीकियों से
बुहत अच्छा लगता है मुझे – सवेरा सुनहरी ज़िन्दगी का
बुहत दर्द दे चुके हैं मुझे – ज़ख़्म काली रातों के
इन्तज़ार है अब तो मुझे – इन ज़ख़्मों से शफ़ा पाने का
उम्मीदें नई जाग उठेंगी – नई सुबह आने के साथ ही मदन
कलियाँ भी खिल उठेंगी – बाद-ए-सबाह के चलने के साथ ही
चहक परिन्दों की भी सुनने को – हर सुबह मिलेगी मुझे
इन्तज़ार है अब तो मुझे बस – अब तो चमन में फूलों के खिलने का

मदन लाल

Cdr. Madan Lal Sehmbi NM. VSM. IN (Retd) I retired from INDIAN NAVY in year 1983 after 32 years as COMMANDER. I have not learned HINDI in school. During the years I learned on my own and polished in last 18 months on my own without ant help when demand to write in HINDI grew from from my readers. Earlier I used to write in Romanised English , I therefore make mistakes which I am correcting on daily basis.. Similarly Computor I have learned all by my self. 10 years back when I finally quit ENGINEERING I was a very good Engineer. I I purchased A laptop & started making blunders and so on. Today I know what I know. I have been now writing in HINDI from SEPTEMBER 2019 on every day on FACEBOOK with repitition I write in URDU in my note books Four note books full C 403, Siddhi Apts. Vasant Nagari 2, Vasai (E) 401208 Contact no. +919890132570