कविता

कविता

सोचता हूँ मैं
काश!बोल पाता
मैं साक्षी हूँ हर पल का
देखा सिर से तन जुदा होते
नाबालिग को पेड़ पर लटके
पुरखों की जमीन से बेदखल होते
मासूम बेटियों को जलते देखे
धर्म के नाम पर क्रूरता करते
मैं ही सच्चा गवाह हूँ
मौन हूँ पर कायर नहीं हूँ
विवश हूँ क्योंकि मैं रास्ता हूँ
केवल उद्वेलित होता हूँ
तार-तार होता हूँ
मैं रास्ता हूँ …….
— अनीता पंडा ‘अन्वी’

डॉ. अनीता पंडा

सीनियर फैलो, आई.सी.एस.एस.आर., दिल्ली, अतिथि प्रवक्ता, मार्टिन लूथर क्रिश्चियन विश्वविद्यालय,शिलांग वरिष्ठ लेखिका एवं कवियत्री। कार्यक्रम का संचालन दूरदर्शन मेघालय एवं आकाशवाणी पूर्वोत्तर सेवा शिलांग C/O M.K.TECH, SAMSUNG CAFÉ, BAWRI MANSSION DHANKHETI, SHILLONG – 793001  MEGHALAYA [email protected]