घेरा
घेरा तो आखिर घेरा है,
हसरत का या बेरुखी का,
वफा का या बेखुदी का,
प्यार का या तिरस्कार का,
तकरार का या इंकार का,
काम का या व्यापार का,
आहट के इंतजार का,
पुष्पों का या कंटकों का,
खुशियों का या गमों का,
कोशिश का या नाकामयाबी के रंज का,
हार-जीत तो होनी ही है
चाहे खेल कबड्डी का हो या शतरंज का,
आशा का या निराशा का,
या कि गरीबी-अमीरी की परिभाषा का.
घेरा तो घेरा होता है,
किस्मत का फेरा होता है,
न तेरा होता है, न मेरा होता है,
घेरा तो आखिर घेरा ही होता है.