आसूँ हो या मुस्कान
सुख हो या दुःख
सुबह हो या दिन
शाम हो या रात
बसंत हो या पतझड़
गर्मी हो या सर्दी
तपती धूप हो या रिमझिम बरसात
जब कुछ भी स्थिर नहीं तो फिर सोचना ,
चिंता , शिकवा शिकायत करना या विचलित होना क्यों
उसपर पल भर का पता नहीं जीवन का कब
साँसे कह दें अलविदा
हँसते खेलते या सताकर
दिल दे जाए दगा या सांस
बीमारी बन आ काल
या फिर कोई दुर्घटना
जीवन का मतलब तो आना और जाना है
फिर कैसा और किस से गिला
जो है वो कब रहा है चाहे हो
अधरों की मुस्कान
आँखों की नमी
दुःख, दर्द, तकलीफ
रिश्ते, नाते, मौसम, समय का फेर
फिर जीवन और मरण का कोई कैसे कहे
कब गूँजे किलकारी नव जीवन की
कब गूँजे रुदन जीवन के अंत की
जीवन का मतलब तो आना और जाना है
फिर इस से कैसी शिकायत या गिला……।।
— मीनाक्षी सुकुमारन