कविता

मेरी खुशियांँ , मेरे घर में

1–मेरा घर छोटा–सा ही पर ,
मेरे घर में रहनेवालों का दिल बहुत ही बड़ा है ।
2–मैं महंगें वस्तुओं से नहीं,
मैं बेला ,गुलाब , गुड़हल ,चंपा , चमेली फूलों से ,
घर को सजा कर रखती हूंँ।
3- मैं घर से बाहर कहीं  जाती हूंँ तो मुड़ –  मुड़ के  बार – बार घर को देखती हूंँ।
4 मेरे प्राण  घर के कोने – कोने में बसते हैं,
मुझे अपने घर में सुकून मिलता है।
5- मेरा घर मंदिर है और मेरे माता –  पिता भगवान,
रोज सुबह  –  शाम दीपक जलाती हूंँ ,
सब खुश रहे यही दुआ मांगती हूंँ।
6- मेरे घर की रौनक हमेशा बनी रहे,
बच्चों को अच्छे  संस्कार देती हूंँ,
मैं जानती हूंँ , यही मेरे धन – दौलत हैं,
इन्हीं से मेरे घर की खुशियांँ हैं।
— चेतनाप्रकाश चितेरी

चेतना सिंह 'चितेरी'

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