जग में…
हमारी कई धारणाएँ
कभी – कभी
गलत भी हो सकती हैं
दुनिया में ….
न कोई सच हमेशा के लिए
मान्य हो सकता है और
न झूठ का स्थिर रूप होता है
कालगति में
सच झूठ में तबदील होता है,
झूठ सच का रूप लेता है
दूसरे को दुख व पीड़ा देना,
सबसे बड़ा अपराध है
धर्म, संप्रदाय के नाम पर,
वर्ण,जाति,वर्ग, रंग, रूप आदि का
भेद- विभेद, विसंगतियों की रचना,
ऊँच – नीच की भावना पैदा करना
छल, कपट, धोखा है जग में
प्रेम एक अद्भुत चीज़ है
दिल से वह बात करता है
जोड़ता है वह एक दूसर को
जिससे समाज में
सुख-शांति होती है
प्रेम स्वीकार का नाम है
देश, काल, परिस्थितियाँ
तय करती हैं जीने का ढंग
लगता है हमें
मनुष्य के अपने कर्मों से
देवता व राक्षस
वास्तव में देवता व राक्षस
कोई ऐसा नहीं होता
यह भी एक
मन की धारणा है
कभी – कभी देवता भी
राक्षस बनता है,
राक्षस देवता बन सकता है
परिवर्तन का नियम है बदलाव
यही सत्य है जग में
सीखते हैं हम कई बातें
औरों से, अपने अनुभव से
जिंदगी चलती है
एक दूसरे के सहयोग से
बहुत बड़ी अजनबी है
जगत का यह व्यवहार।