कविता

लहू का रंग

लहू की दो बूंद जमी पर दिखी
तो यह ख्याल आया
यह खून किसका है
अमीर का या किसी गरीब का
सवर्ण का या फिर किसी दलित का
बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक का
क्योंकि बूंदों का रंग लाल था
उसके बिना कोई पहिचान न थी
खून का रंग भी होता
अगर पीला नीला या हरा
तो पहचान लिया जाता
यह खून है किस जाति का
किस वर्ग का
किस धर्म का
❤️ब्रजेश🙏

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020