गीतिका
दीन दुखी की मदद करो वो रहें न दुख के दास
मिले सभी को रोटी, कपड़ा और मिले आवास
रोजगार न छिने किसी का, कहीं न हो कंगाली
कभी भूलकर भी गरीब का मत करना उपहास
मानव जन्म मिला है तुमको अच्छे कर लो काम
उसे हंसी दो अगर कहीं भी बच्चा दिखे उदास
अगर मुश्किलों का हो सामना हार कभी न मानो
हर मुश्किल आसान बने गर खुद पर हो विश्वास
दर्द बांट लो कभी किसी का,दे दो कभी सहाराव
घड़ी दो घड़ी बैठ के देखो लाचारो के पास
जीवन उतना सरल नही है, शूल भी हैं राहो में
पतझड़ बाद पुन: आता है बागों में मधुमास
— शालिनी शर्मा