दिवाली है दीप जलाओ
दिवाली है दीप जलाओ,
अँधियारा को दूर भगाओ।
खुशी-खुशी त्योहार मनाओ,
सबको अपने गले लगाओ।
मोहन सोहन सब दौर के आओ,
आओ मिलकर दीप जलाओ।
आज रंग-बिरंगे फुलझड़ियों से,
सबका मन मुग्ध कर डालो।
नया-नया सब कपड़ा पहनो,
तारों सा आज चमक दिखाओ।
आज धरती को खूब सजाओ,
दीपों का मनोहर त्योहार मनाओ।
दिवाली है सब खुशी मनाओ,
खूब खाओ और खूब खिलाओ।
चप्पा-चप्पा दीप आज जलाओ,
हर क्लेश को अब दूर भगाओ।
दिवाली आयी है प्रेम वर्षाओ,
दिल में भी एक दीप जलाओ।
आज हृदय को साफ कर डालो,
जीवन की हर तिमिर मिटाओ।
सोनु आओ मोनु भी आओ,
सबको अपना आज बनाओ।
दिवाली है दीप जलाओ,
अँधियारा को दूर भगाओ।
अमरेन्द्र
पचरुखिया,फतुहा,पटना,बिहार।
(स्वरचित एवं मौलिक)