बाल कविता

दीपावली

दीपावली मंगल कामना है
मंगल के दो दीप जलाओ है।
रोशनी की ये थाली है
इस से होती घर की रखवाली है।
इसकी महिमा न्यारी है।
अंधियारे को दूर भगाओ
दीपावली के दीप जलाओ ।
रात के बारह बजते
सब मिल कर
लक्ष्मी की पूजा करते है।
रात की काली माया में
दीपों से उजाला करते है।
लड्डू और पेड़े खाते
दीप जला दूर अंधेरा भागते।

जमीनी संधू
दसवीं कक्षा की छात्रा
(सुभाष हाउस)
राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय
गाहलिया

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- Rajivdogra1@gmail.com M- 9876777233