गीत/नवगीत

अवध में राम पधारे

अवध में राम पधारे तो हुईं जगमग गलियाँ

खिले जो पुष्प चरण रज पा हर्षाईं कलियाँ
चौदह बरसों का वन गमन पूरन कर लौटे
सब तिथि बीतीं अमावस सम जान सखी
बस यही अमावस लागे जैसे पूर्णिमा
अवध में राम पधारे तो हुईं जगमग गलियाँ
मात-पिता का वचन निभाया एक क्षण में
भ्रात भरत को राजसिंहासन त्वरित सौंप
सब सम्बन्धों की राखी पूरी मर्यादा
अवध में राम पधारे तो हुईं जगमग गलियाँ
पाप बढ़े धरती व्याकुल फिरें देव अघाये
जन्म लिए मनुज तन में हरने सब पीड़ा
सबरी अहिल्या रावण कुल तारनहार
अवध में राम पधारे तो हुईं जगमग गलियाँ
— प्रियंका अग्निहोत्री “गीत”

प्रियंका अग्निहोत्री 'गीत'

पुत्री श्रीमती पुष्पा अवस्थी