कविता

ख़्याल आपके

ख़्याल आप के ख़्वाब आप के – शामल हैं जुस्तजू में हमारी
शख़्स हूं मैं एक अैसा दुनिया में – आरज़ू जिस को है तम्हारी
बात तो कुछ भी नही हुई है लेकिन – यक़ीन यिह ही है हमारा
लफ़्ज़ों में हमारी हर ग़ज़ल के – छुपी है दास्तान ही तुम्हारी

जाने वाले हम सफ़र कभी तो – देख ले हमें भी तो मुडकर
कश्तियाँ सारी हमारे दिल की – रुकी हैं आप के इन्तज़ार में
बिछाए हुए थे जो काँटे लोगों ने – हर राह गुज़र में हमारी
मसलते गैए हम उन को पाओं से – तलब यिही थी दिल की हनारी

दूर जब भी चले जाते हैं आप – हमारी नज़रों के सामने से
बुहत कराहने लगता है दिल हमारा – तेज़ चलती हैं साँसें हमारी
सामने जब भी चले आते हैं आप – हमारी नज़रों के कभी भी
बे तहाशा धडकने लगती हैं – दिल की सारी धडकनें ही हमारी
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ख़त्म कभी भी ना हो यिह रात – बन चुकी है वस्ल की हमारी
इन्तहा नही यिह हमारी चाहत की – तो और क्या है मुहब्बत हमारी
रात यिह हमारे मिलन की – अब कटे सिर्फ़ बाहों में ही त्महारी
ख़्वाहिश अब तो यिह ही – बन गैई है दिल की ही हमारी
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कहें गे कुछ भी नही हम – कभी भी अपने बंद लबों से –मदन–
जताते रहें गे प्यार हम तो अपनी आँखों से ही हमारी
बसे रैहते हैं आप तो हमेशा ही – दिल की धडकनों में ही हमारी
चुरा लिया है आप ने तो दिल – और साथ में रूह भी हमारी

मदन लाल

Cdr. Madan Lal Sehmbi NM. VSM. IN (Retd) I retired from INDIAN NAVY in year 1983 after 32 years as COMMANDER. I have not learned HINDI in school. During the years I learned on my own and polished in last 18 months on my own without ant help when demand to write in HINDI grew from from my readers. Earlier I used to write in Romanised English , I therefore make mistakes which I am correcting on daily basis.. Similarly Computor I have learned all by my self. 10 years back when I finally quit ENGINEERING I was a very good Engineer. I I purchased A laptop & started making blunders and so on. Today I know what I know. I have been now writing in HINDI from SEPTEMBER 2019 on every day on FACEBOOK with repitition I write in URDU in my note books Four note books full C 403, Siddhi Apts. Vasant Nagari 2, Vasai (E) 401208 Contact no. +919890132570