दोहे “करलो अच्छे काम”
होने को अब जा रहा, जीवन का अवसान।
कलुषित मन की कामना, बन्द करो श्रीमान।।
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बढ़ती ज्यों-ज्यों है उमर, त्यों-त्यों बढ़ती प्यास।
कामी भँवरे की नहीं, पूरी होती आस।।
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लिखिए मत साहित्य में, कुण्ठा भरे विचार।
अच्छे लेख-विचार को, सब करते स्वीकार।।
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जितना मिला नसीब से, अधिक न माँगो मित्र।
मीठे जल के कूप में, कभी न घोलो इत्र।।
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सबके भरा दिमाग में, शब्दों का है कोश।
लोगों अपने ज्ञान पर, मत होना मदहोश।।
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लिखकर सत्-साहित्य को, सफल करो यह लोक।
आधारित प्रारब्ध पर, रहते हैं डरपोक।।
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थोड़ा सा जीवन बचा, करलो अच्छे काम।
मर जाने के बाद भी, अमर रहेगा नाम।।
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(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)