धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

स्नान,ध्यान,दान,उपासना का पर्व कार्तिक पूर्णिमा

कार्तिक पूर्णिमा का दिन पूरे वर्ष मे विशेष दिवस के रूप में माना जाता है।क्योंकि इस दिवस को बहुत ही पावन,पुण्य और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है।इस अवसर पर पवित्र तीर्थ स्थलों के नदियों,तालाबों पर स्नान,ध्यान,दीपदान,और उपासना किया जाता है।
इस कार्तिक पूर्णिमा को भगवान भोलेनाथ का दुसरा नाम जिनको “त्रिपुरारी” कहा जाता हैं।इनके नाम से ही इसे “त्रिपुरारी पूर्णिमा” के नाम से जाना जाता है।
हमारे धर्म-ग्रंथ पुराणो मे यह उल्लेख है कि भगवान शंकर ने इसी दिन त्रिपुरासुर का वध किया था।इस प्रकार से सारे देवगण प्रसन्न हो गए, और प्रसन्न होकर कण-कण मे विराजीत भगवान भोले नाथ के निवास स्थान काशी मे अनगिनत दीप प्रज्वलित किए।सम्यक काशी नगरी दीपों से जगमगा उठी।और तभी से इस पावन दिवस को
“देव दिवाली” के नाम से भी जाना जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा का इसलिए भी अत्यधिक महत्व बढ़ जाता है की इस दिन स्नान, ध्यान, दान, करने से इसका कई गुना महत्व बढ़ जाता है।ऐसी मान्यता है की इस दिन दान करने से इसका अनगिनत गुना हमे वापस प्राप्त होता है।इस प्रकार से मनुष्य के अंदर एक साकारात्मक आध्यात्मिक ऊर्जा प्रवाहित होती है।और वह सारे दुर्गुणों को भुलाक़ार सदमार्ग पर आने के लिए प्रेरित होता है।अपने सारे  दुष्ट वृतियों को भुलाकर आध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर हो जाता है।और इस प्रकार से मनुष्य के जीवन मे सुख-शान्ति, समृद्धि, आरोग्य और प्रसन्नता आ जाती है। ऐसी मान्यता है की इस  दिन किसी पवित्र स्थल मे या किसी भी नदी मे स्नान करने से गंगा नदी के बराबर फल मिलता है।
और यह भी माना जाता है की यदि कोई मनुष्य किसी तीर्थ स्थल पर जा नहीं सकता तो वह घर में रह कर भी स्नान के पानी मे गंगा जल डालकर गंगा नदी के पुण्य का फल प्राप्त कर सकता है।इस दौरान माँ गायत्री मंत्र का जाप करे।तो निश्चित ही भगवान का आशीर्वाद और पुण्य प्राप्त होता है।और यह भी मान्यता है इस दिन स्नान, ध्यान,दान,उपासना के उपरान्त  उसी पूर्णिमा के दिन तिल गुड़ ,घी,अन्न वस्त्र,और जरूरत मंद लोगों को दान और भोजन कराए तो उसका पुण्य और फल कई गुणा बढ़ जाता है।
इस प्रकार से यह कहा जा सकता है की हमारे हिन्दुओं के धर्म-ग्रंथों मे नाना-प्रकार के तीज-त्यौहार,व्रत,उपासना,आस्था, विश्वास,स्नान ,ध्यान,आदि देखने को मिलते ही रहता है। इन सभी क्रिया-कलापों के पीछे मे कुछ न कुछ आध्यात्मिक रहस्य अवश्य जुड़ा हुआ होता है।जो मानव जीवन को सदमार्ग,और मोक्ष के राह पर ले जाता है।जिससे उसका जीवन सुख-शान्ति और सुखमय हो जाता है।

— अशोक पटेल “आशु”

*अशोक पटेल 'आशु'

व्याख्याता-हिंदी मेघा धमतरी (छ ग) M-9827874578