कविता

हसरत की आँगन

ख्वाबों की हँसीन रोशनी में
कल्पना को रौशन होने दो
हसरत की इस आँगन में
सतरंगी रग को भरने दो

कह दो कोई इस अंधेरों को
तिमिर की चादर ना बिछाये
कह दो इस गलियारे में  कोई
मनहुस सी सूरत ना दिखलाये

गुलशन में जब रंग विरगें
सुमन से उपवन होगा गुलजार
खुशियों की इस कायनात में
खिलखिलाती हँसेगी बहार

खुशबू रातरानी   महकाये
फिजां से कह दो आज की रात
मेरे जीवन में आने वाला है
खुशियों से सजी इठलाती बारात

अय हवा मेरे साथ तुँ चलना
जब होगी कारवाँ की आगाज
दूर तलक गुबार    दिखेगी
जब सजेगी हसरत की   ताज

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088