प्रेम की बातें सब करते ,प्रीत की रीत निभाना सीखो।
बिन प्रेम बुझे मन बाती, प्रेम का दीप जलाना सीखो।
दो नयनों के दीप जले हैं,फिर भी मन अँधियारा कैसा।
प्रेम के दो बोल तो बोलो, इस से बड़ा नज़ारा कैसा।
आपनें हो मीत यहाँ,मिल जुल साथ निभाना सीखो।
बिन प्रेम बुझे मन बाती, प्रेम का दीप जलाना सीखो।
हाथों में ले हाथ सभी का, बैठ पास कुछ बातें कर लो।
दिल की सुनों दिल की सुनाओ, प्रेम मुलाकातें कर लो।
मिट जाती है मन की दूरी, हंस के मन बहलाना सीखो।
बिन प्रेम बुझे मन बाती, प्रेम का दीप जलाना सीखो।
तेरे दिल में मेरा दिल हो, दिल में प्रेम प्यार का दर हो।
एक सा भाव हो हर दिल में ,एक सी दोनोंकी नज़र हो।
जलबिन मछली जैसे तड़पे, प्यार में मर जाना सीखो।
बिन प्रेम बुझे मन बाती, प्रेम का दीप जलाना सीखो।
— शिव राज सान्याल