जागरूकता
रेलवे प्लेटफार्म साफ सुथरा चमक रहा था ,सफाई कर्मचारी अभी अभी झाडू लगा कर गया था | एक बेंच पर एक नव विवाहित युगल दंपत्ति बैठा था | पुरुष ने अपने थैले से मूमफली से भरा एक लिफाफा निकाला | मूमफली से दाने निकालकर प्यार से अपनी पत्नी को दिए | पर छिलके वहीँ प्लेटफार्म पर नीचे डाल दिए |
यह देखकर पास के ही बेंच पर बैठी 10 वर्षीया किशोरी पूर्वी ,जो उस दिन ही सफाई पर ‘मन की बात’ सुनकर आई थी , को बहुत बुरा लगा | वह बार बार पापा को कोहनी मारकर कहती ,” पापा उन्हें बोलो ना कि साफ प्लेटफार्म को गन्दा न करें |’
बेमतलब की कहा सुनी से बचने के लिए उसका पापा उसकी बात अनसुनी करता रहा | इस पर पूर्वी ने अपने बिस्कुट के पैकिटों को पन्नी से निकालकर थेले में रखा | खाली पन्नी लेकर वह उस युगल दंपत्ति के पास गई | प्लेटफार्म पर फैले छिलकों को उसने पन्नी में डाला और उसे पुरुष के हाथ में देकर कहा ,’ अंकल प्लीज़ , बाकी के छिलके भी इस पन्नी में ही डालकर ,सामने रखे कूड़ेदान में डालने की कृपा करें |’
पुरुष ने शर्मिंदा होकर पन्नी अपने हाथ में पकड़ ली |
— विष्णु सक्सेना