मेरी जान हिन्दुस्तान
साहित्यिक मंच “हिंदी साहित्य दर्पण” पर विजेता कविता
मैं हूं इसकी लाड़ली बिटिया,
सदा रखूंगी इसका मान,
बड़ी शान से सदा कहूंगी,
मेरी जान हिन्दुस्तान.
इसके प्रहरी रहते चौकस,
कहलाते वे वीर जवान,
थाम तिरंगा कर में गाते,
मेरी जान हिन्दुस्तान.
सारे देश को अन्न मिले,
जब खेत में खटते खूब किसान,
खटकर भी वे शान से कहते,
मेरी जान हिन्दुस्तान.
यहां नमस्ते और प्रणाम,
यहां योग और प्राणायाम,
जग में योग का मान बढ़ाए,
मेरी जान हिन्दुस्तान.
प्रेम-प्यार की गंगा बहती,
यमुना को हम करें प्रणाम,
नदिया सागर में मिल गाती,
मेरी जान हिन्दुस्तान.
मैं भी सबको यही सिखाती,
सदा बढ़ाना इसका मान,
झंडा ऊंचा रहे हमारा,
मेरी जान हिन्दुस्तान.