सामाजिक

स्पीड ब्रेकर और खड्डे लाते हैं दुर्भाग्य और अनिष्ट

राष्ट्रीय राजमार्गों से लेकर गांव-कस्बों और शहरों तक की सड़कों पर पिछले कुछ वर्षों से स्पीड़ ब्रेकरों का चलन बेतहाशा बढ़ा है। गति को रोकने और दुर्घटनाओं को टालने से मकसद से बनाये गए स्पीड ब्रेकरों से दुर्घटनाओं पर कितनी रोक लग पाती है यह अलग बात हैं, मगर यह भी सच है कि स्पीड ब्रेकरों की वजह से लोक जीवन में समृद्धि, खुशहाली और शान्ति के आगमन पर बुरा असर पड़ा है।

यों देखा जाए तो स्पीड़ ब्रेकरों से आस-पास की दुकानों और मकानों तथा क्षेत्र में परेशानियां पैदा हो जाती हैं। वास्तु के अनुसार शाश्वत प्रवाह को रोके जाने व्यक्ति के जीवन से लेकर घर-परिवार और पास-पड़ोस तक पर घातक असर पड़ता है।

जिन लोगों के घरों, दुकानों, प्रतिष्ठानों, दफ्तरों आदि के सामने या आस-पास स्पीड़ ब्रेकर बने हुए हैं वे किसी न किसी परेशानी के दौर से गुजरते रहते हैं क्योंकि वास्तु की सकारात्मक ऊर्जाओं से परिपूर्ण धाराओं का जो प्रवाह बेरोकटोक उनके घर-आँगन और दुकान, खेत-खलिहान या फॉर्म हाऊस सहजता और प्रवाहमयता के साथ आना चाहिए, उसमें स्थायी तौर पर बाधा उत्पन्न हो जाती है।

ऐसे में सुख-शांति और समृद्धि की कल्पना व्यर्थ है। जिनके आस-पास या सामने स्पीड़ ब्रेकर होते हैं उनकी दुकान का न चलना, घर में किसी न किसी सदस्य के हमेशा बीमार रहने, नौकरी-धंधे में बरकत न होने, कुछ-कुछ दिन रुककर झगड़े-फसाद की स्थितियां सामने आने और कई तरह के अनिष्टों और आकस्मिक समस्याओं को देखा जा सकता है।

खूब सारी दुकानें ऐसी देखी गई हैं जो स्पीड़ ब्रेकर बनने के बाद चलनी बंद हो जाती हैं या इनके संचालन में किसी न किसी प्रकार की बाधाएं आती रहती हैं। एक शोध-अध्ययन में सामने आया है कि जिन लोगों की दुकानों और घरों के बाहर स्पीड़ ब्रेकर बने हैं उनमें से नब्बे फीसदी लोग स्पीड़ ब्रेकर बनने के बाद से ही किसी न किसी परेशानी से त्रस्त हैं।

फिर जो स्पीड़ ब्रेकर बने हुए हैं उनके आकार भी समरूप न होकर हर कहीं विचित्र और बेढ़ंगे हैं। जो भी राहगीर या वाहनधारी इन पर से होकर गुजरता है उसकी आह व स्पीड ब्रेकर को लेकरी की जाती रहने वाली नकारात्मक टिप्पणियां भी इसके दुष्प्रभाव को बहुगुणित करने के लिए काफी है।

इस प्रकार रोजाना खूब सारे राहगीरों और वाहनचालकों द्वारा छोड़ी गई नकारात्मक अभिव्यक्ति का प्रभाव स्पीड ब्रेकर के इर्द-गिर्द अपना परिमाण बढ़ाने लगता है और इससे सकारात्मकता का ह्रास होते-होते एक स्थिति यह आ जाती है कि स्पीड ब्रेकर का समीपवर्ती पूरा परिवेश ही नकारात्मक ऊर्जा से भर उठता है।

इसका असर आस-पास के क्षेत्र पर बुरा प्रभाव छोड़ने लगता है। स्पीड़ ब्रेकर की वजह से उनके द्वार तक आने वाली समृद्धि व शांति की धाराएं रुक जाती हैं और यह स्थिति तब तक बरकरार रहती है जब तक स्पीड़ ब्रेकर लगा रहेगा।

घर-दुकान के द्वार के सम्मुख पेड़, खंभा आदि को वास्तु में वेध मानते हुए दोष बताया गया है। इसी प्रकार स्पीड़ ब्रेकर भी दोष है। स्पीड़ ब्रेकर उनकी उन्नति में ब्रेक लगाने वाले होते हैं। दुर्भाग्य यह भी देखा गया है कि पिछले कुछ वर्ष से यातायात नियमों के प्रति जागरुकता एवं वाहनों के आवागमन में संयम बरतने की बजाय जगह-जगह स्पीड ब्रेकर बनाए जाने की मांग होती रही है, जैसे कि स्पीड ब्रेकर सामुदायिक विकास का ही कोई अंग या संरचना हो।

फिर जिस आकार-प्रकार में स्पीड ब्रेकरों का निर्माण हो रहा है, वे इतने बेढ़ंगे और कष्टदायी हैं कि इससे मानव जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है और शारीरिक कष्टों के साथ हड्डियों के रोगों में बढ़ोतरी देखी गई है, रीढ़ की हड्डी की समस्याएं सामने आयी हैं, यह स्थिति अपने आप में मानव समुदाय के लिए घातक है और कई दूसरी समस्याएं पैदा करने लगी है।

केवल स्पीड ब्रेकर ही नहीं, अनावश्यक खड्डे भी सामान्य जीवन प्रवाह में बाधा उत्पन्न करते हैं और इनके कारण आस-पास या सामने रहने वाले लोगों के जीवन में कई प्रकार की परेशानियां उत्पन्न होती रहती हैं। इन गड्ढ़ों में पानी का जमाव बने रहने की स्थिति में और भी अधिक परेशानियां पैदा हो सकती हैं।

स्पीड ब्रेकर हों या गड्ढे, दोनों ही स्थितियां वास्तु दोष को इंगित करती हैं और इसका खामियाजा इनके आस-पास रहने वाले और क्षेत्रवासियों को भुगतना ही पड़ता है। इसे देखते हुए प्रयास यही करें कि इन दोनों ही स्थितियों से बचें, ताकि जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली का प्रवाह निरन्तर हम तक पहुंचता रहे।

– डॉ. दीपक आचार्य

*डॉ. दीपक आचार्य

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