कविता

एहसास

तेरी घनी जुल्फ जब जब
मेरी काँधे को छू जाती
हवा में प्यार की तब तब
खुमार   घुल घुल जाती
जब जब पुरवाई बदन को
छू कर  भग भग जाती
हमें तेरी प्यार की एहसास कराती
तन मन को ऊर्जा दे जाता
प्यार की आरजू रातरानी कराती
गुलशन में ये कौन है आया
हमें दिखाई तेरा ही  साया
कलियों में उमंग ये कैसा आया
मधुकर हौले से मड़राया
वो अमुवा की डाली पे पपीहा
गाती है मिलन को अपनी पिया
जब तुम्हारी बदन की महक आई
तेरी उपस्थिति की एहसास जगाई
फिजां में प्यार की घुल गया है रंग
मस्ती में है गुलशन का  तन मन
कब से बैठा हूँ गुलशन में
मिलन की प्यासा है मन में
आ जाना तुम चमन में एक बार
कर लेगें एक दूजै से मनुहार

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088