कारवान हमारी ज़िन्दगी का – चलता रैहता है हमेशा अपनी ही हीरफ़्तार पर
कल सुबह होगी या नही – सोचते ही नही हम कभी भी रात को ठहर कर
पूछते भी नही हम कभी किसी को – कि अब किस रास्ते पर चलना है हमें
रुकते भी नही हम किसी के लिये – रास्ते में कभी भी किसी भी मोड पर
बुहत ही सादगी से इस दुनिया में – गुज़ारते हैं हम यिह ज़िन्दगी अपनी
बाहर हम जाते नही कभी भी – रहते हैं हम हमेशा अपने ही घर पर
ढ़ीली बुहत छोड रखी है डोर – अपनी ज़िन्दगी की उडती पतंग की
किस तरफ़ ले जाती है यह हमें – मुनहसर है यह तो हना के ज़ोर पर
ख़ामोशी से चलते रहते हैं हम – ज़िन्दगी के कारवान के साथ साथ
ले जाए यिह हमें किस मन्ज़िल पर – फ़ैसला छोड रखा है रहबर पर
काम हमारे ही आज आ रही है – उमर भर की दिवानगी ज़िन्दगी की
शक करता नही है अब कोई भी – हमारे बनाए हुऐ अतबार पर
उमीदें तो बुहत सारी हमने – लगा रखी थीं अपनी ही इस ज़िन्दगी से
मगर औरों की तरह कभी भी हमने – जाना चाहा था नही चाँद पर
यादें हमेशा ही हमारी चमक उठती हैं – हमारे धुँधले से ज़हन पर
बैठते हैं जब भी अकेले में हम – अपनी इन आँखों को मूंदकर
गुज़र करते हैं अपनी ज़िन्दगी के साथ – गुज़रती जैसे भी है यह मदन
काम कोई भी करते नही हैं हम – कभी भी किसी को भी पूछ कर
सजदे भी अपने परमात्मा के करते हैं हम – अपने दिल की मर्ज़ी से
कियूं कि यक़ीन हम को बहुत है – अपनी की हुई दुआओं के असर पर